दुनिया का पहला आवासीय नालंदा विश्वविद्यालय जो दुनिया को 700 सालों तक ज्ञान देता रहा......

 नालंदा के खंडहर भारत के बिहार राज्य में स्थित हैं और यह प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह स्थान नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों के रूप में जाना जाता है, जो प्राचीन समय में विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था। यहाँ पर एक समय में हजारों विद्यार्थी और शिक्षक मौजूद थे, जो पूरे विश्व से आए थे।इसमें भारत ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया जैसे देशों के भी छात्र भी पढ़ने के लिए आते थे। 

नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा का इतिहास:

1. स्थापना:

इसकी स्थापना गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 450 ईस्वी में की थी यह भारत में शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था।इस विश्वविद्यालय में एक ही परिसर में शिक्षक और छात्र रहते थे

2. प्रसिद्धि:

नालंदा विश्वविद्यालय में सन् 1193 तक पढ़ाई होती थी। 

यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म, गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, और अन्य विषयों का प्रमुख केंद्र था। यहां के पुस्तकालय में लाखों पांडुलिपियां थीं।

3. विनाश:

इसे तीन बार नष्ट किया गया था, लेकिन दो बार फिर से बनाया गया था

12वीं शताब्दी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा को नष्ट कर दिया। उसने विश्वविद्यालय को जलाकर नष्ट कर दिया, पुस्तकालय में लगी आग लगभग छह महीनों तक जलती रही।

नालंदा के खंडहर का महत्व:

1. वास्तुकला:

नालंदा के खंडहर बौद्ध स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यहाँ मठों (मोनास्ट्री) और मंदिरों के अवशेष मिले हैं। मठों में छात्रों के रहने के लिए कमरे और शिक्षण कक्ष बने हुए हैं।

फारसी इतिहासकार मिनहाजुद्दीन सिराज अपनी किताब 'तबाकत-ए-नासिरी' में लिखते हैं कि खिलजी किसी कीमत पर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार नहीं चाहता था


2. आधुनिक खोज:

नालंदा के खंडहरों की खुदाई 19वीं और 20वीं शताब्दी में हुई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने यहाँ से अनेक अवशेष, मूर्तियाँ, और पांडुलिपियाँ खोजी हैं।

3. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल:

2016 में नालंदा महाविहार (प्राचीन विश्वविद्यालय) को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

मुख्य आकर्षण:

1. पुस्तकालय के अवशेष

इसमें 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंज़िला एक विशाल पुस्तकालय था।

नालंदा के पुस्तकालय में तीन मुख्य भवन थे - रत्नसागर, रत्नोदधि, और रत्नरंजक।

इस पुस्तकालय में 90 लाख से ज़्यादा किताबें थीं।

2. मठ और स्तूप:

यहाँ 11 बड़े मठ और 6 प्रमुख स्तूप हैं। मुख्य स्तूप के चारों ओर छोटे-छोटे मंदिर हैं।

3. संग्रहालय:

नालंदा संग्रहालय में खुदाई से प्राप्त वस्तुएँ, जैसे बौद्ध मूर्तियाँ, सिक्के, और पांडुलिपियाँ संरक्षित हैं।





नालंदा का आधुनिक महत्व:

1. नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण:

2014 में नालंदा विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित किया गया। यह वैश्विक शिक्षा और शोध का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।

2. पर्यटन स्थल:

नालंदा के खंडहर भारत और विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण हैं। यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है।



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