मैग्नेट्रॉन एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका है। जिसका उपयोग माइक्रोवेव रेडिएशन उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह आमतौर पर माइक्रोवेव ओवन, रडार सिस्टम और कुछ वायरलेस संचार उपकरणों में उपयोग किया जाता है। मैग्नेट्रॉन में इलेक्ट्रॉनों को चुंबकीय और विद्युत क्षेत्र के प्रभाव से नियंत्रित किया जाता है, जिससे उच्च-फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन किरणों की खोज 1888 ईस्वी में वैज्ञानिक हर्टज ने की थी।
मैग्नेट्रॉन के मुख्य घटक:
- कैथोड: यह इलेक्ट्रॉनों का स्रोत है। इसे गर्म करके इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन किया जाता है।
- एनोड: कैथोड के चारों ओर रखा धातु का सिलेंडर, जिसमें कैविटीज़ होती हैं।
- कैविटीज़: यह वह स्थान हैं जहाँ इलेक्ट्रॉनों की गति से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें उत्पन्न होती हैं।
- चुंबकीय क्षेत्र: यह इलेक्ट्रॉनों की गति को घुमावदार (सर्पिल) बनाने के लिए जिम्मेदार होता है।
कार्यप्रणाली:
- जब कैथोड से इलेक्ट्रॉन निकलते हैं और चुंबकीय तथा विद्युत क्षेत्र के संपर्क में आते हैं, तो वे सर्पिल रास्ता अपनाते हैं।
- इलेक्ट्रॉनों की यह गति कैविटीज़ में गूंज पैदा करती है, जिससे माइक्रोवेव ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- इस ऊर्जा को एक वेवगाइड के माध्यम से बाहर निकाला जाता है।
उपयोग:
- माइक्रोवेव ओवन: भोजन गर्म करने और पकाने के लिए।
- रडार सिस्टम: वस्तुओं का पता लगाने और उनकी दूरी मापने के लिए।
- संचार उपकरण: माइक्रोवेव सिग्नल्स के लिए।
- औद्योगिक और वैज्ञानिक उपयोग: हीटिंग, थर्मल प्रोसेसिंग आदि।
मैग्नेट्रॉन का आविष्कार 1940 के दशक में हुआ था।जिसका विकास रन्डाल एवं बूट (Randall and Boot) ने किया था।
और इसे तकनीकी दुनिया में क्रांति लाने वाला उपकरण माना जाता है।
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