ग्वालियर के किले का इतिहास........

 ग्वालियर किले का इतिहास

ग्वालियर किला, जिसे भारत के सबसे मजबूत और ऐतिहासिक किलों में से एक माना जाता है, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है। इसे "ग्वालियर का गढ़" भी कहा जाता है। यह किला भारतीय स्थापत्य कला और इतिहास का उत्कृष्ट उदाहरण है।

किले का प्रारंभिक इतिहास

 किले की स्थापना 6वीं शताब्दी में हुई थी। लाल बलुए पत्थर से बना यह किला की नीव सूरजसेन कच्छवाहा ने रखी जिसे बाद में मान सिंह तोमर ने किले का रूप दिया।  किंवदंती के अनुसार, सूरज सेन को एक संत ग्वालिपा ने कुष्ठ रोग से ठीक किया और इसके बदले में राजा ने इस स्थान पर एक किले का निर्माण करवाया। संत के नाम पर इस स्थान का नाम "ग्वालियर" पड़ा।

राजनीतिक और सैन्य महत्व

  1. तोमर वंश:
    ग्वालियर किला 15वीं शताब्दी में तोमर राजाओं के अधीन सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ। राजा मान सिंह तोमर (1486-1516) इस किले के सबसे महत्वपूर्ण शासक माने जाते हैं। उन्होंने किले को एक सांस्कृतिक और स्थापत्य केंद्र में बदल दिया। राजा मान सिंह ने "गुजरी महल" बनवाया, जो उनकी रानी मृगनयनी के लिए समर्पित था।

  2. मुगल साम्राज्य:
    तोमर वंश के बाद, यह किला 16वीं शताब्दी में मुगलों के कब्जे में चला गया। मुगल बादशाह अकबर ने इसे अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया। किला मुगल साम्राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान था।

  3. मराठा, अंग्रेज और सिंधिया शासन:
    18वीं शताब्दी में किला मराठों और फिर सिंधिया राजवंश के नियंत्रण में आया। ब्रिटिश शासन के दौरान यह किला अंग्रेजों के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा।

किले की वास्तुकला

इसे बलुआ पत्थर की पहाड़ी पर निर्मित किया गया है और यह मैदानी क्षेत्र से 100 मीटर ऊंचाई पर है। किले की बाहरी दीवार लगभग 2 मील लंबी है और इसकी चौड़ाई 1 किलोमीटर से लेकर 200 मीटर तक है। इसकी ऊँचाई लगभग 300 -500 मीटर है।

  • इसमें गुजरी महल, सास बहू का मंदिर, मान मंदिर महल, और तेली का मंदिर जैसे कई अद्वितीय स्मारक शामिल हैं।
  • किले में जैन तीर्थंकरों की विशाल मूर्तियाँ और हिंदू देवी-देवताओं के भव्य मंदिर हैं।
  • इसकी दीवारें और संरचना राजस्थानी और मुगल स्थापत्य शैली का मिश्रण दिखाती हैं।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

ग्वालियर किला कला, संस्कृति और संगीत के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण रहा है। राजा मान सिंह तोमर के समय यह भारतीय संगीत का केंद्र था।

आज का ग्वालियर किला

आज ग्वालियर किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व पर्यटकों को आकर्षित करता है। भारतीय इतिहास के अनेक महत्वपूर्ण अध्याय इस किले से जुड़े हुए हैं।

नोट : ग्वालियर किले को पूर्व का जिब्राल्टर कहा गया है, क्योंकि इस किले को कई सीधी लड़ाई में जीता नहीं जा सका।

ग्वालियर किला सिर्फ एक स्थापत्य चमत्कार ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी है।

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