शेर शाह सूरी का मकबरा भारतीय उपमहाद्वीप में इंडो -इस्लामी वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में स्थित है। इसे प्रसिद्ध वास्तुकार मीर मुहम्मद अलीवाल खान ने डिज़ाइन किया था .इस मकबरे से संबंधित मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं:
1. निर्माण
शेर शाह सूरी के जीवित रहते हुए इसका निर्माण शुरू हुआ और उनकी मृत्यु (1545 ईस्वी) के बाद पूरा हुआ।
इसे अफगानी स्थापत्य शैली में बनाया गया है।
2. स्थान
यह मकबरा बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक कृत्रिम झील के बीच में स्थित है।
मकबरा झील के केंद्र में एक चबूतरे पर बना हुआ है और पत्थर के पुलों से जुड़ा है।
3. वास्तुकला
यह तीन मंज़िला है।
मकबरा पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है।
इसकी ऊँचाई लगभग 122 फीट (37.2 मीटर) है।
इसमें गुम्बद, मेहराब, और शिल्पकारी के बेहतरीन उदाहरण हैं।
मकबरा एक पंचकोणीय आधार पर निर्मित है।इस मकबरे में कुल 25 कब्रें हैं।
4. झील और उद्यान
मकबरे के चारों ओर एक विशाल झील और हरियाली से घिरा उद्यान है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है।
5. महत्व
यह मकबरा शेर शाह सूरी की प्रशासनिक और स्थापत्य कुशलता का प्रतीक है।
इसे "द्वितीय ताजमहल" भी कहा जाता है, क्योंकि यह शाही मकबरों की भव्य परंपरा का अग्रदूत था।
6. पर्यटन आकर्षण
यह भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
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